Wednesday, February 16, 2011

औरत तेरी यही कहानी

तू ही है दुर्गा ,काली , लक्ष्मी .सरस्वती अरे रूकिये रूकिये यहाँ पर मैं आरती नही गा रही हूँ बल्कि इक नारी को हमारे भारतीय समाज में जिसका रूप कहा जाता है उसे बया कर रही हूँ । हमारे भारतीय परिवेश में औरत की परिभाषा कुछ इस तरह ही है ।

कहते है की प्यार और रेस्पेक्ट दिल से होना चाहिये जो अपने आप आँखों में दिख ही जाता है , फिर क्या आपको लगता की प्यार दिखाने के लिए किसी स्पेशल डे की जरुरत होती है !! मुझे लगता है की शायद आप समझ नही पाए है चलिए हम समझाते है women's day , daughter's day . mother's day जी हाँ इन्ही दिनों की दुहाई देकर हम माँ , बेटी , बहन की रेस्पेक्ट करते है और बाकी दिन अपमान करते है । खैर मैं तोह इस बात से इक्त्फाक नही रखती हूँ की प्यार और सम्मान देने के लिए स्पेशल दिन की जरुरत होती है ।

वोमेन डे यानी नारी को सलाम अब वह माँ , बहन , बेटी कोई भी हो सकती है । दुनिया भर में इसके मनाए जाने के तरीके अलग हो लेकिन अगर हमारे भारतीय समाज की बात करे तोह भारत ही ऐसा देश है जहा पर लड़की के अनेको पेर्ययेवाची मिल जाते है यहाँ तक की उनके नामो में भी देवी के दर्शन किये जा सकते है । हमारा देश विभिन्ताओ का देश है जैसा की नेहरु जी ने भी " THE VARIETY OF INDIA" में हमारे देश की संस्कृति को दर्शाया है । इस विभिनता के कारण दुनिया में हमारी इक अलग ही पहचान है । व्रत , त्योहारों से लेकर धार्मिक पुस्तकों में भी नारी की महिमा का वर्णन है लेकिन यह हमारे देश की सबसे बड़ी विडम्बना है की जहा पर नारी को लक्ष्मी का स्थान दिया जाता है , कन्या पूजा की जाती है वही पर कन्या भ्रूण हत्या का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है ।

कहते है की कन्या दान महा दान है , वह लक्ष्मी है लेकिन जब वही कन्या जन्म लेती है तोह किस तरह चेहरे की रोनक उड़ जाती है मानो कोई अपशगुन हो गया हो । आज भी हमारे देश में लड़के की चाह में व्रत , अनुष्ठान तक हो जाते है पर लड़की के लिए ?? यह देखकर सोचती हूँ की क्या वाकई में हम बदल गए है ? यह तस्वीर है २१ सदी में जी रहे हमारे भारत की जहा पर नारी के अधिकारों की बातें तोह बहुत की जाती है पर उसी नारी को अपनी इक्षानुसार संतान को जन्म देने का भी अधिकार नही है । जिसका उदहारण लगातार कम हो रही लडकियों की संख्या है ,यह सच हमारी सर्वे रिपोर्ट भी बताती है । ज़रा इक मिनट के लिए सोचिये लडकियां बचे ही न तब किसे कहेगे आप माँ , बहन , और बेटी तोह क्या तब भी यही कहेगे HAPPY WOMEN'S DAY । ज़रा सोचियेगा !!

हमारे भारतीय समाज में इक समस्या या यूं कहे की रीति चली आ रही है , पुरुष प्रधानता और नारी है त्याग की मूर्ति , नारी प्यार और त्याग की मूर्ति है तभी तोह अपने जीवन के हर मोड़ पर वह त्याग करती जाती है मानो जैसे उसकी अपनी कोई ज़िन्दगी है ही नही इसलिए आज भी इक विधवा को समाज के तानो का शिकार होना पड़ता है उसे कोई भी शुभ काम में रेस्पेक्ट नही देता है लेकिन अगर पुरुष हो तोह उसे पूरी छूट है । फिल्म , मोडेलिंग , फैशन , नौकरी , शिक्षा हर जगह नारी को शोषण का शिकार होना पड़ता है अगर उन्हें आगे बढ़ना है तोह अपने बॉस , सहयोगी के साथ समझोते करने पड़ते है हर कदम पर उनके नारी होने का फायदा उठाया जाता है । बस , ट्रेन , सब जगह उन्हें कमेन्ट और छेड़खानी का शिकार होना पड़ता है । यह तोह मेरा रोज का अनुभव है कभी कभी गुस्सा भी आता है लेकिन फिर इक बात याद आ जाती है की औरत तेरी यही कहानी है ।

वोट के नाम पर तोह सभी महिला अधिकार और सुरक्षा की बात करते है पर वोट के बाद वही "ढाक के तीन पात "
अब देखिये ना संस्कृति और परम्परा के नाम पर VALENTINE DAY के विरोध में पहरा देना शुरू हो जाता है लेकिन जब किसी के साथ रेप या छेड़खानी होती है तब न तोह कोई संस्कृति खराब होती है और न परम्परा तब तोह लगता है की इन पहरेदारो को साँप सूंघ जाता है उस समय न दिखता है जोश और जुनून !! कभी सामाजिक इज्जत के नाम पर HONOUR KILLING तोह रेप , छेड़खानी के नाम पर लड़कियों के ड्रेससिंग सेंस को जिम्मेदार मान लिया जाता है , इस तरह की विचारधारा वाले लोग नाजाने कब सुधेरेंगे । आज भी अगर कोई महिला बॉस हो तोह कुछ अहेमवादी लोग अपने आपको गिरा महसूस करने लगते है और उन्हें देखकर बेह्क्कूफो की तरह हँसते भी रहते है ।

देखा जाय तोह पहले और अब के भारत में अंतर आया है हमने हर मायनो में अपने आपको बदला फिर नारी के प्रति अपनी रूढ़िवादी मानसिकता को क्यों नही बदल पाए है ?? बड़ी बड़ी बातों की जगह बड़ा करे इसके लिए हम सभी को पहल करनी चाहिये तभी तोह हम कह सकेगे " INCREDIBLE INDIA " और यकीन मानिए जिस दिन यह बदलाव होगा उस दिन हर लड़की यही कहेगी की " अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो "

अंत में इतना ही कहना चाहती हूँ की नारी को प्यार और रेस्पेक्ट देने के लिए WOMEN'S DAY का इंतज़ार क्यों बल्कि साल के ३६५ दिन इस दिन को मनाइए और और उनकी भावनाओं को समझे ।

धन्यवाद