Monday, September 20, 2010

नया बदलाव

मौसम में , स्वाद में, फैशन में मतलब हर जगह बदलाव होते रहते है या यूं कहे की "परिवर्तन जीवन का नियम" है ,तोह गलत नहीं होगा । जिंदगी से अगर कोई चीज जुडी है तोह उसमे बदलाव होना लाजमी है , तोह फिर हमारे टी.वी.सीरियल इस बदलाव से कैसे बचे रह सकते है ।

अब देखिये न इक के बाद सभी चैनल पर सामाजिक कुरीतियों पर बने प्रोग्राम धड़ले से शुरू हो गए । पहले और अब के टी.वी.सीरियल में बहुत अंतर आ गया है पहले हर चैनल एकता कपूर के सीरियल से पटा हुआ था मतलब हर चैनल पर इक न उनका सीरियल जरूर होता था। k नाम के सीरियल की भरमार थी वही सास बहु की नौटंकी , रोना धोना और न जाने कितनी ही दफा शादियाँ होती थी और मरकर फिर से जिंदा हो जाते थे .... कौसौटी ज़िन्दगी में ही देख लीजिये खैर धीरे धीरे इक के बाद ये सारे सीरियल बंद होते चले गए और जनता भी इन सबसे बोर हो गयी थी।
तुम जो आये ज़िन्दगी में बात बन गयी ये मत सोचियेगा की मैंने गाना गाना शुरू कर दिया है , यह गाना बिलकुल फिट है colors चैनल के लिए जिसने सामाजिक कुरीतियों पर बना बालिका वधु सीरियल बनाकर इक नए कांसेप्ट को टी.वी.प्लेटफोर्म पर उतारा , अब सारे के सारे चैनल इसी होड़ में लग गए है की वोह भी इस फील्ड में माहिर है ।
चाहे फिर जी टी.वी. , सोनी , सहारा .... या ,स्टार प्लस ने " तोह रिश्ता वही सोच नयी "के साथ इक अलग ही बदलाव कर दिया चाहे फिर वह प्रतिज्ञा हो या काली , अब इस दौड़ में ndtv imagine भी कहा पीछे रहने वाला था अभी ही जल्द शुरू हुआ 'बाबा ऐसा वर ढूंढो' जैसे अनेक सीरियल जो सामजिक कुरीतियों पर बने है और बनाने शुरू भी हो गए है ।
इक चैनल ने राह दिखाई सभी उसी राह पर चल दिए लेकिन कहते है ना बदलाव का अपना ही मजा है शायद अब यह मजा लोगो को भी पसंद आ रहा है लेकिन इक बात यह जरूर है की इन सीरियल से हमको मनोरंजन के साथ साथ शिक्षा भी मिलती है जो सबसे बड़ी बात है । यह बदलाव लोगो को भी पसंद आ रहा है तभी अपने शुरूआती साल में ही colors चैनल टी.आर.पी .में आगे बढ़ गया और अब सभी चैनल इसी लाइन में लग गए है , अगर कहे की सारा खेल टी .आर.पी. का है तोह कुछ गलत नहीं होगा । खैर हम तोह यही कहेगे की , खेल चाहे किसी भी चीज का हो लेकिन बदलाव आया तोह ,यानी "बदलाव बड़े काम की चीज है।"

Friday, September 10, 2010

WHT A ATTITUDE


इन्तजार मेरी सुबहो को , मेरी शामो को इन्तजार अरे रूकिये में यहाँ किसी प्रेमी के इन्तजार की बात नहीं कर रही हूँ , बल्कि हमारी क्लास्सेस शुरू होने में जो लेट हुई उस इन्तजार की बारे में बात कर रही हूँ। खैर देर आये दुरुस्त आये । हमारी क्लास्सेस इक अछे से अस्सिघ्न्मेंट से शुरू हुई , जिसका नाम attitude था । अगले दिन सभी लोगो ने अपना अपना अंदाज ए बया किया ।
सभी ने अपनी बातें कही , लेकिन उस क्लास में मैंने इक नयाएहसास किया और वह था , कुछ नया कर दिखाने का और जिसकी शुरुआत इस अस्सिग्न्मेंट से हो चुकी थी । यह हो सकता है की हमे अपनी उस दिन अपनी बातो से संतुस्ती न मिली हो , लेकिन इक नया कांफिडेंस जरूर जग गया और यह भी इक... attitude है। नयी क्लास , नए सुब्जेज्ट और नयी सोच के साथ हम अपनी नयी पारी कहलने की तयारी में है , जो पिछली क्लास में गुम था ।
इस छोटे से अस्सिग्न्मेंट को कर के मैंने जो महसूस किया वह था नया कांफिडेंस और कुछ करने की नयी सोच और कहते भी है न " जहा चाह वह राह "। देखा जाय तोह ये भी इक attitude है । जिस तरह हम अपने पास्ट को भुलाकर अपने आज को सुधारने की कोशिश करते है , टीख उसी तरह हम इस बार इक नयी सोच के साथ तैयार हुए है ।
तोह चलिए " रिश्ता वही सोच नयी " के साथ इक नए पथ पर आगे बढे ।