Wednesday, December 28, 2011

आई हेट टियर्स

ये क्या हुआ, कैसे हुआ, कब हुआ, क्यों हुआ अरे छोड़ो ये न पूछोवाकई में बेबाक अन्दाज, रूमानी चेहरा और बेहतरीन अदाकारी के धनी काका ऊर्फ राजेश खन्ना नाजाने कब बॉलीबुड के आका बन बैठे पता ही नही चला। सत्तर के दशक के पहले सुपरस्टार के रूप में बॉलीवुड को ऐसा नायाब हीरा मिला जिसकी चमक इस दशक में भी कायम है।

24 वर्ष की उम्र से ही अपने जबरदस्त अभिनय का हुनर दिखाने वाले राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसम्बर 1942 को अम्रतसर मे हुआ था। कहते है कि नाम मे क्या रखा है, लेकिन पंजाब में जन्मे जतिन खन्ना को असल पहचान राजेश खन्ना नाम से ही मिली है। जहाँ एक तरफ बॉलीवुड में गॉडफादर का सिक्का चलता है वही राजेश खन्ना ने आल इण्डिया टेलेन्ट हंट को जीतकर हिन्दी सिनेमा में अपने दम पर मुकाम हासिल किया है।

बाव्य नेक्स डोर कहे जाने वाले राजेश खन्ना ने वर्ष 1966 में आखिरी खतसे बॉलीवुड में आगाज़ किया। सन् 1967 में औरत, राज ,बहारों के सपने जैसी कई फिल्मों ने उनके अरमानो पर पानी फेरा। पर कहते हैं कि मन के हारे हार है, और मन के जीते जीत’, राजेश खन्ना ने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा और आखिरकार वर्ष 1969 में रिलीज हुई फिल्म आराधना में राजेश खन्ना को नायाब मौका मिला जिसने उन्हें रातों रात शाइनिग स्टार बना दिया। इस फिल्म के बाद उन्होनें कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1969 में इत्तेफाक, दो रास्ते ,1970 में सफर, सच्चा झूठा, कटी पंतग आन मिलो सजना, 1971 में कटी पंतग, आनन्द, हाथी मेरे साथी , 1972 में अमर प्रेम, अपना देश, बावर्ची, दुश्मन, 1973 में नमक हराम, दाग, आविष्कार और 1974 में आपकी कसम, प्रेम नगर, रोटी जैसी कई हिट फिल्मों का सेहरा बालीवुड के काका के सर बँधा।

सत्तर के दशक के इस दौर में राजेश खन्ना एक के बाद एक स्टारडम की सीढ़िया चढ़ते चले गये। शायद यही कारण था सुन्दर सालोने वाले इस रोमेन्टिक चेहरे पर लड़कियाँ अपनी जान निसार करती थी। दिलकश अन्दाज वाले राजेश खन्ना का सुरूर उनकी फीमेल फैन्स पर इस कदर छाया रहता था कि वह अपने खून से उन्हें खत लिखा करती थी। लाखों हसीनाओं के ड्रीम ब्वाय बन चुके राजेश खन्ना के रोमान्स के किस्सों ने भी काफी सुर्खिया बटोरी थी। फैशन डिजाइनर और अभिनेत्री अन्जू महेन्द्रु के साथ सत्रह साल और टीना मुनीम के साथ सम्बन्धो ने भी बॉलीवुड के गलियारों में काफी सनसनी मचाई थी ,लेकिन सुपरस्टार बन चुके राजेश खन्ना बाबी गर्ल डिम्पल कपाडिया के हाथों दिल हार बैठे और 1973 में यह जोड़ी शादी के बन्धन में बँध गयी। हालाकि दोनों जिन्दगी का सफर तय करने में नाकाम रहे । टिविकल और रिकी खन्ना के माँ बाप बनी यह जोड़ी अब साथ नहीं है।

प्यार और रोमान्स के साथ दर्द के एहसास को जिन्दादिली के साथ पर्दे पर जीना इसकी बानगी अगर कही दिखती है तो वह है राजेश खन्ना !! फिल्म आनन्द में एक लाइलाज बीमारी लिम्फोसारकोमा आफ इन्टस्टाईनस से पीड़ित किरदार को निभाकर राजेश खन्ना ने बेहतरीन अभिनय की मिशाल पेश की । जिन्दगी को जिन्दादिली से जीने वाले राजेश खन्ना को सन् 1971 में इस फिल्म के लिए फिल्म फेयर के बेस्ट एक्टर के खिताब से नवाज़ा गया। फिल्म सच्चा झूठा (1971) और आविष्कार (1973) समेत फिल्म फेयर के लाइफ अचीवमेंट अवार्ड(2005) से सम्मानित किये जाने वाले इस रोमेन्टिक हीरो ने अपनी बेहतरीन अभिनय के दम पर आने वाली पीढ़ियों के लिए माल का पत्थर साबित किया है।

वैसे तो राजेश खन्ना ने अपने फिल्मी सफर में कई अदाकाराओं के साथ काम किया है लेकिन शर्मिला टैगोर और मुमताज जैसी अभिनेत्रियों के साथ उनकी जोड़ी को सबसे ज्यादा सराहा गया । रूपहले परदे पर हिरोईनों के साथ हिट जोड़ी बनाने वाले राजेश खन्ना की किशोर कुमार के साथ भी उम्दा जोड़ी के रूप में उभरकर सामने आयी। रोमेन्टिक हीरो राजेश खन्ना के साथ किशोर कुमार की जुगलबन्दी ने हिन्दी सिनेमा को कई बेहतरीन और यादगार गानों की सौगात दी। जिनमें से, आते जाते खूबसबरत, मेरे सपनों की रानी, ओ मेरे दिल के चैन, प्यार दीवाना होता है, जिन्दगी का सफर, रूप तेरा मस्ताना, कोरा कागज था ये मन मेरा, कुछ तो लोग कहेगें जैसे कई बेहतरीन नगमों ने राजेश खन्ना के फिल्मी करियर में चार चाँद लगा दिए।

कामयाबी के अर्श पर पहुँच चुके राजेश खन्ना का फिल्मी करियर 80 के दशक के बाद ढलान पर आने लगा। लगभग डेढ़ दशक तक हिन्दी सिनेमा पर अपना परचम लहराने वाले राजेश खन्ना ने राजनीति में भी कदम रखा । सन् 1991 से 1996 के बीच नई दिल्ली से काग्रेस के लोकसभा सांसद रहे राजेश खन्ना को राजनीति कुछ रास नहीं आयी। राजेश खन्ना ने फिल्म खुदाई (1994) से अपनी फिल्मी पारी की शुरूआत की, जो आ अब लौट चले(1999), क्या दिल ने कहा(2002) और जाना (2006) फिल्म से उनका फिल्मी सफर अब भी जारी है। अलहदा अन्दाज वाले राजेश खन्ना का जादू बड़े परदे से लेकर छोटे परदे पर भी छाया रहा। सन् 2001 और 2002 में राजेश खन्ना ने अपने पराये, इत्तेफाक’, ‘रघुकुल रीति सदा चली आई जैसे कई सीरियल में काम किया है।

बॉलीवुड में कामयाबी और शोहरत की बुलन्दियों पर अपना एक अलग ही मुकाम हासिल करने वाले राजेश खन्ना को उनके जन्मदिन के इस मुबारक मौके पर यही दुआ देना चाहेगें

आप वो फूल हो जो गुलशन में तो नही खिलते

पर जिसपे आसमान के फ़रिश्ते भी फ्रक करते

आपकी जिन्दगी हद से ज़्यादा कीमती है

जन्म दिन आप हमेशा मनाएँ यूँ ही हँसते हँसते”….

Sunday, May 22, 2011

चुलबुल बना डिस्कवरी.......

बॉलीवुड इक ऐसी जगह है ......जहा पर दोस्ती के किस्से कम और दुश्मनी के ज्यादा सुनाई देते है ....... i .. me & my self ........पर विशवास करने वाले चुलबुल पांडे के बॉलीवुड में ......दबंगई के चर्चे बहुत मशहूर है ........... शाहरुख़ , विवेक ,रणवीर कपूर ...............न जाने कितने लोगो के साथ सलमान के झगड़े के किस्से फैले हुए है .......पर कहते है न .......की हर चीज के अपवाद भी होते है .....


" A FRIEND IN NEED IS A FRIEND INDEED " .......... अगर यह उपाधि किसी को दी जानी चाहिये .....तोह वह सलमान खान है ........... दोस्ती किस तरह निभानी है इसकी क्वालिटी केवल इन्ही के पास है ........इसी के साथ -साथ वह हमेशा नयी -नयी खोज करने के लिए भी जाने जाते है । जब भी बॉलीवुड में कोई नया चेहरा पेश होता है तोह .........उसके पीछे सल्लू मियां का हाथ जरूर होता है ........


स्नेहा उल्लाल ( LUCKY) ...... कटरीना ( MAINE DIL TUJHKO DIYA ) ..... ज़रीन खान ( VEER) ...........
ब्रूना अब्दुल्ला (CASH ITEM SONG ).........सोनाक्षी सिन्हा (DABANGG) ..........इन सभी का रास्ता बॉलीवुड में सलमान ने ही खोला ........यानी चुलबुल पांडे बॉलीवुड में .......डिस्कवरी पर्सन बन गए है ......जो हमेशा कुछ न कुछ नयी खोज करते ही रहते है ........


अगर दोस्ती की बात देखि जाय तोह सलमान खान इसमें भी पीछे नही है ......... अब गोविंदा की ही बात ले लीजिये ..जिनके डूबते फ़िल्मी करियर की नैया के खवैया यही बने ........फिल्म पार्टनर में सलमान ने ......ची ची (गोविंदा)
को बॉलीवुड में फिर से एंट्री दिला दी .......अब तोह खबर यह भी है .......की चुलबुल की चुलबुली दया अब .......नर्मदा
जो गोविंदा की बेटी है .......उन पर भी होने वाली है ........यानी कुछ दिनों बाद हमे फिर इक नयी खोज दिखाई देगी..

अभी हाल ही में .......ज़रीन खान ने कहा की जब भी वह मुसीबत में होती है .......तोह सलमान के पास जाती है ......
सायद यही वजह है की .........वीर की असफलता के बाद भी ........सलमान ने उन्हें फिर से इक नया मौका दिया ...इक अच्छा एक्टर होने के साथ -साथ ........इक अच्छा इंसान होना भी बहुत जरुरी है ...... यह बात भी सल्लू मिया ने साबित कर दी है ...... इसलिए ..चैरिटी में सबसे आगे सलमान ही रहते है ........."BEING HUMAN " संस्था से जुड़ने के बाद RAMP WALK करके जमकर इसकी पब्लिसिटी भी की ........ यह इसी बात को दर्शाता है .....


खैर हम तोह यही दुआ करेंगे की ........चुलबुल पाण्डेय का दोस्ताना और डिस्कवरी यूं ही चलता रहे .......ताकि हमे भी इसी तरह बॉलीवुड में नए - नए चेहरे दिखाई देते रहे ...........

Wednesday, May 18, 2011

दर्द अभी बाकी है ..

आजकल जहा देख रही हूँ वही पर ..उत्तर प्रदेश छाया हुआ है । टी.वी.चैनल ,अखबार , या फिर लोगो की बात चीत ..सब जगह बस इसी के ही चर्चे है । आखिर हो भी क्यों न ?अगली बारी उत्तर प्रदेश की है ..मिसन२०१२ ..बहुत दिनों से भट्टा परसोल के चर्चे सुन सुन कर कान पक गये है ..इस मुद्दे को सुलझाने से ज्यदा उलझाया जा रहा है । सभी अपनी अपनी ढपली और अपना अपना राग गा रहे है.. और.. पार्टिया अपनी राजनीतिक रोटिया सेकने में लगी हुई है ..इसका भी इक ही उत्तर है ..सिर्फ चुनावी स्टंट .....बस किसी तरह नैया पार लग जाय फिर खेवैया हो मस्त ..और....जनता रहे त्रस्त!!!!

भट्टा परसोल गाव की न्यूज़ देखते देखते ....अचानक इक बहुत ही प्रसिद्ध नारा याद आ गया .."जय जवान जय किसान " (लाल बहादुर शास्त्री ) ...........यहाँ किसान भी त्रस्त है और जवान भी पस्त है .......यहाँ जवान से मेरा मतलब युवा से है !! ........ इक दिन बस स्टॉप पर स्टुडेंट ग्रुप आपस में बहस कर रहे थे .... मुद्दा था ....उत्तर प्रदेश
मैंने भी उन्हें ज्वाइन किया .......बहुत लम्बी बहस चली .....सबने अपना अपना opinion दिया ......तभी इक स्टुडेंट ने अपना opinion कुछ इस तरह दिया ...... अभी हाल में ही मायावती सरकार ने अपना ४ कार्य काल पूरा किया ........इसका अच्छा खासा विज्ञापन भी करवाया गया .......लेकिन उसमे इक चीज मिस थी ....और वह है youth!! ....उनोहोने हमारे लिए क्या किया ?

करोड़ो रूपए के पत्थर की जगह .....industry ..plant .....या बाहर से कंपनी को बुला कर उत्तर प्रदेश की शिक्षा में इक नया विकास कर सकती थी ..... प्लेसमेंट बेस अच्छा बना सकती थी .........जो आज युवा की सबसे ज्यादा जरुरत है ....बेरोजगारी और अशिक्षा इस कदर फैली हुई है .......उसे अभी तक दूर नही किया जा सका है ....आज लोग अपनी खेती -बाड़ी बेचकर कर्जा लेकर अपने बच्चो को पढ़ा रहे है .......पर क्या वोह सफल हो गये है अपने इस काम में ? तोह मेरा जवाब है नही .....मुझे उनका opinion अच्छा लगा ....वाकई में आज भी हमारे राज्य में अच्छे अच्छे डिग्री धारक लोग बेठे हुए है .....इक अच्छी पढाई करके भी उन्हें बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है ..बेठने की बजाय वह दुसरे राज्यों में जा रहे है .....ऐसा क्यों हो रहा है ? .....वाकई में यह बहुत शर्मनाक बात है हमारे लिए .........क्या हम इतना गए गुजरे है की अपने राज्य में रोजगार पैदा नही कर सकते है !!

यहाँ पर सरकार बदलते ही संस्थानों और विभागों के नाम बदल जाते है ......अगर यही बदलाव रोजगार और सिक्षा के मामले किया जाता तोह आज हमारा राज्य इतना पीछे नही रहते .....पूछने पर सब इक दुसरे को जिम्मेदार ठहराते है यानी ......."ढाक के तीन पात "..इसके पिछड़ेपन किसी इक को जिम्मेदार नही माना जा सकता है ........अगर हम अपने पाले की गेंद को दुसरे पाले में फेकने की बजाय अपनी गलतियों और कमियों पर काम करे ..तोह यह ज्यदा अच्छा होगा उत्तर प्रदेश के भविष्य के लिए !!


कभी कभी मैं यह सोचती हूँ .... यु.पी.की पहचान क्या है ? ......तोह सिर्फ इक ही जवाब मिलता है ...."जातिवाद"...
हमारे यहाँ जातियों का ज्यदा ही बोलबाला है ...... "हम सुधेरेंगे तोह जग सुधेरेगा" पर कही न कही हम भी इसके लिए जिम्मेदार है .....आज भी हम विकास से ज्यदा जाति देखते है ......उमीदवार की योग्यता की न आककर....उसकी जाति को आकते है ........शायद यही कारण है ....... की यहाँ पर लोग जेल में रहते हुए भी चुनाव जीत जाते है .........और फिर जब कुछ गलत होता है तोह हम अपनी गलती भी स्वीकार नही करते है .......अगर हम जाति -पात को छोड़कर ...यु .पी.के विकास पर ध्यान देते तोह आज ....इसे अच्छे नजरो से देखा जाता .......इसी का उदाहरण है महारास्ट्र और दक्षिण राज्यों में हमारे साथ दुर्व्येहव्हार........जब मैंने यु.पी.की कमियों के आकडे सर्च किये तोह ....तोह दुःख भी हुआ और ख़ुशी भी ........ख़ुशी इस बात पर की हमने विकास कर लिया है .... .....और दुःख इस बात पर .....यह नंबर अभी भी नीचे से शुरू होता है !!


भुखमरी..गरीबी ...बेरोजगारी ..शिक्षा ...कन्या भूरून हत्या .... आज भी जटिल समस्या बनी हुई है ....२०११ की जनगणना के अनुसार ....हम आबादी में सबसे ज्यदा आगे है ...ब्राजील के बराबर केवल हमारे राज्य की जनसँख्या है ....और कन्या भुरून हत्या का ग्राफ भी बढ़ा है .. क्या इस तरह हम विकास कर पायेंगे ?!! उत्तर परदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है ......लेकिन अभी भी यह पिछड़ा हुआ है .......इक बात यह भी है की .......हमारे यहाँ भावनाओं को समझने से ज्यदा....... उसका मजाक बनाया जाता है .....आज जो भी भट्टा परसोल गाव में किसानो के स्थिती इसी का इक जीता जागता उदाहरण है .....हर कोई अपना उल्लू सीधा कर रहा है .....सबने अपनी अपनी बातें कही ...... इतना बड़ा ड्रामा कर दिया ......इससे किसानो को क्या फायदा हुआ ?? कुछ भी नहीं ....जिस तरह विकास के नाम खेतो को बंजर बनाया जा रहा है ....... जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है ....वाकई में नहुत निंदनीय है ....... हमारे यहाँ पता नही क्यों हर कानून बनाने में इतना समय क्यों लगता है !! ....इसमें जरूर सुधार होना चाहिये ...... इस तरह से हम कभी विकास कर ही नही पायेंगे ....और यु.पी.की तोह बात ही निराली है ....


लिखने
को तोह बहुत कुछ लिखा जा सकता है .... पर लिखने के साथ -साथ करने की जरुरत है ....और उसी में हम पीछे है... जिस दिन हम करना सीख लेंगे उस दिन उत्तर प्रदेश और भारत दोनों की tasveer बदल जायगी ....

Saturday, April 16, 2011

ऐसा क्यों होता है ????

आज कल ज़िन्दगी इक पहेली बन गयी है ........ समझ नही पा रही हूँ की इसे सुलझाऊ कैसे ?...... मेरी समझ में ज़िन्दगी से आप जितना सीख सकते है .... शायद ही उतना कही से सीख पायेंगे । मैंने भी बहुत कुछ सीखा लेकिन सीखते सीखते ......इक चीज अभी तक नही समझ पायी हूँ


"उगते सूरज को ही हर कोई क्यों सलाम करता है "...
बहुत ही कड़वी सच्चाई है , पर बिलकुल सही है । लोग आपकी नही आपकी कुर्सी की पूजा करते है । कुछ इस तरह के विचार मेरे पापा जी के है .... वह कहते है की जब तक आप retire नही होते तब तक आपको सब पहचानते है ....लेकिन retire होने के बाद !!

शुरुआत में social networking साइड ज्वाइन करते समय इक फ्रेंड की information में tag लाइन लिखी थी .....
" if you've no name fame and money ..... no one notice to u " यह बात मुझे बहुत अच्छी लगी और साथ ही साथ इक lesson भी दिया की ........

if you've name.. fame and money ....... every one will ask u ...... how r u !!

but if u don't have ..... every one says ........ who r u ??

आज अगर जितने भी सेलेब्रिटी है .... अमिताभ बच्चन , शाहरुख़ खान , सचिन तेंदुलकर ... इनका बस नाम ही काफी है .... अगर इन्हें जुकाम भी हो जाता है..... तोह वोह भी breaking न्यूज़ बन जाती है । यानी सब पैसे नाम और सोहरत का कमाल है । मान लीजिये अगर आज यही लोग watchmen.. servant.. govt. employee होते .. क्या तब इनकी वही इज़त होती है जो आज है?..... इक गरीब आदमी रोड पर मर रहा होता है तोह उसकी कोई भी सुध नही लेता है !!

जब तक आपका बल्ला चलता है ....... तब तक आपकी पूछ है ...... जहा यह बंद , तब सब कुछ बदल जाता है ।
( insurance company advertisement - sehwag nd yuvraaj ) यह लाइन भले ही ऐड के लिए बनी हो पर रियल लाइफ से inspire है । इनकी बातें छोड़ भी दे तोह इक आम आदमी का भी यही हाल है ....... जब तक आप अच्छा कर रहे होते है तब सब आपके साथ जुड़ना चाहेंगे ......... लेकिन जहा आपके बुरे दिन आये यही इक , इक करके गायब हो जाते है ।

हमारे यहाँ संस्कार और संस्कृति की बहुत दुहाई दी जाती है .... फला चीज अच्छी है .... और फला चीज खराब .... पर जो लोग इसकी बातें करते है ..... क्या वोह खुद इतने काबिल है ? भासन और परवचन तोह सभी देते है ..... आज न तोह कृष्ण और सुदामा जैसे उदाहरण है और न ही हनुमान जैसा सेवा भक्त । आज सिर्फ इक चीज बोलती है और वह है .... " ur status".... अब वोह जमाना चला गया जब लोग बिना किसी पहचान के भी आपका हाल चाल पूछ लेते थे ......... अब तोह हाय , हेल्लो भी आपका status देखकर बोला जाता हैइसके कई उदाहरण हम अपनी लाइफ में देख सकते है


पापा जी की बातें इक दम दिल को छु गयी .... की आज कल reputation का बोलबाला है ............... वाकई में किसी ने सच ही कहा है की "सूरज ना बदला ... चन्दा न बदला .... न बदला रे आसमान ..... कितना बदल गया इंसान "..........

Wednesday, February 16, 2011

औरत तेरी यही कहानी

तू ही है दुर्गा ,काली , लक्ष्मी .सरस्वती अरे रूकिये रूकिये यहाँ पर मैं आरती नही गा रही हूँ बल्कि इक नारी को हमारे भारतीय समाज में जिसका रूप कहा जाता है उसे बया कर रही हूँ । हमारे भारतीय परिवेश में औरत की परिभाषा कुछ इस तरह ही है ।

कहते है की प्यार और रेस्पेक्ट दिल से होना चाहिये जो अपने आप आँखों में दिख ही जाता है , फिर क्या आपको लगता की प्यार दिखाने के लिए किसी स्पेशल डे की जरुरत होती है !! मुझे लगता है की शायद आप समझ नही पाए है चलिए हम समझाते है women's day , daughter's day . mother's day जी हाँ इन्ही दिनों की दुहाई देकर हम माँ , बेटी , बहन की रेस्पेक्ट करते है और बाकी दिन अपमान करते है । खैर मैं तोह इस बात से इक्त्फाक नही रखती हूँ की प्यार और सम्मान देने के लिए स्पेशल दिन की जरुरत होती है ।

वोमेन डे यानी नारी को सलाम अब वह माँ , बहन , बेटी कोई भी हो सकती है । दुनिया भर में इसके मनाए जाने के तरीके अलग हो लेकिन अगर हमारे भारतीय समाज की बात करे तोह भारत ही ऐसा देश है जहा पर लड़की के अनेको पेर्ययेवाची मिल जाते है यहाँ तक की उनके नामो में भी देवी के दर्शन किये जा सकते है । हमारा देश विभिन्ताओ का देश है जैसा की नेहरु जी ने भी " THE VARIETY OF INDIA" में हमारे देश की संस्कृति को दर्शाया है । इस विभिनता के कारण दुनिया में हमारी इक अलग ही पहचान है । व्रत , त्योहारों से लेकर धार्मिक पुस्तकों में भी नारी की महिमा का वर्णन है लेकिन यह हमारे देश की सबसे बड़ी विडम्बना है की जहा पर नारी को लक्ष्मी का स्थान दिया जाता है , कन्या पूजा की जाती है वही पर कन्या भ्रूण हत्या का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है ।

कहते है की कन्या दान महा दान है , वह लक्ष्मी है लेकिन जब वही कन्या जन्म लेती है तोह किस तरह चेहरे की रोनक उड़ जाती है मानो कोई अपशगुन हो गया हो । आज भी हमारे देश में लड़के की चाह में व्रत , अनुष्ठान तक हो जाते है पर लड़की के लिए ?? यह देखकर सोचती हूँ की क्या वाकई में हम बदल गए है ? यह तस्वीर है २१ सदी में जी रहे हमारे भारत की जहा पर नारी के अधिकारों की बातें तोह बहुत की जाती है पर उसी नारी को अपनी इक्षानुसार संतान को जन्म देने का भी अधिकार नही है । जिसका उदहारण लगातार कम हो रही लडकियों की संख्या है ,यह सच हमारी सर्वे रिपोर्ट भी बताती है । ज़रा इक मिनट के लिए सोचिये लडकियां बचे ही न तब किसे कहेगे आप माँ , बहन , और बेटी तोह क्या तब भी यही कहेगे HAPPY WOMEN'S DAY । ज़रा सोचियेगा !!

हमारे भारतीय समाज में इक समस्या या यूं कहे की रीति चली आ रही है , पुरुष प्रधानता और नारी है त्याग की मूर्ति , नारी प्यार और त्याग की मूर्ति है तभी तोह अपने जीवन के हर मोड़ पर वह त्याग करती जाती है मानो जैसे उसकी अपनी कोई ज़िन्दगी है ही नही इसलिए आज भी इक विधवा को समाज के तानो का शिकार होना पड़ता है उसे कोई भी शुभ काम में रेस्पेक्ट नही देता है लेकिन अगर पुरुष हो तोह उसे पूरी छूट है । फिल्म , मोडेलिंग , फैशन , नौकरी , शिक्षा हर जगह नारी को शोषण का शिकार होना पड़ता है अगर उन्हें आगे बढ़ना है तोह अपने बॉस , सहयोगी के साथ समझोते करने पड़ते है हर कदम पर उनके नारी होने का फायदा उठाया जाता है । बस , ट्रेन , सब जगह उन्हें कमेन्ट और छेड़खानी का शिकार होना पड़ता है । यह तोह मेरा रोज का अनुभव है कभी कभी गुस्सा भी आता है लेकिन फिर इक बात याद आ जाती है की औरत तेरी यही कहानी है ।

वोट के नाम पर तोह सभी महिला अधिकार और सुरक्षा की बात करते है पर वोट के बाद वही "ढाक के तीन पात "
अब देखिये ना संस्कृति और परम्परा के नाम पर VALENTINE DAY के विरोध में पहरा देना शुरू हो जाता है लेकिन जब किसी के साथ रेप या छेड़खानी होती है तब न तोह कोई संस्कृति खराब होती है और न परम्परा तब तोह लगता है की इन पहरेदारो को साँप सूंघ जाता है उस समय न दिखता है जोश और जुनून !! कभी सामाजिक इज्जत के नाम पर HONOUR KILLING तोह रेप , छेड़खानी के नाम पर लड़कियों के ड्रेससिंग सेंस को जिम्मेदार मान लिया जाता है , इस तरह की विचारधारा वाले लोग नाजाने कब सुधेरेंगे । आज भी अगर कोई महिला बॉस हो तोह कुछ अहेमवादी लोग अपने आपको गिरा महसूस करने लगते है और उन्हें देखकर बेह्क्कूफो की तरह हँसते भी रहते है ।

देखा जाय तोह पहले और अब के भारत में अंतर आया है हमने हर मायनो में अपने आपको बदला फिर नारी के प्रति अपनी रूढ़िवादी मानसिकता को क्यों नही बदल पाए है ?? बड़ी बड़ी बातों की जगह बड़ा करे इसके लिए हम सभी को पहल करनी चाहिये तभी तोह हम कह सकेगे " INCREDIBLE INDIA " और यकीन मानिए जिस दिन यह बदलाव होगा उस दिन हर लड़की यही कहेगी की " अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो "

अंत में इतना ही कहना चाहती हूँ की नारी को प्यार और रेस्पेक्ट देने के लिए WOMEN'S DAY का इंतज़ार क्यों बल्कि साल के ३६५ दिन इस दिन को मनाइए और और उनकी भावनाओं को समझे ।

धन्यवाद

Sunday, January 23, 2011

फरमान या अपमान

२०११ का ये मेरा नया और पहला ब्लॉग । इस बार ठण्ड इतनी पड़ी की इसमें मैं भी ठंडी पड़ गयी अरे भई बीमार हो गयी। लेकिन अब फिर से हाज़िर इस नए साल में नयी सोच और आशा के साथ । मैं अब ठीख हुई तोह सोचा की इस गुलाबी धूप मेंकुछ लिखा जाय , तोह टी.वी ऑन किया और ली अपडेट सोचा की कुछ अच्छी खबर मिलेगी लेकिन ये क्या ? इक ऐसी न्यूज़ सुनी जिससे मुझे लगा की इस ठण्ड ने कुछ लोगो को मानसिक रूप से बीमार कर दिया है।

जींस , टॉप और मोबाइल ... अब तोह आप समझ ही गए होंगे । west uttar pradesh के muzaffarnagar की खाप पंचायत ने फरमान जारी करके लड़कियों के इन कपड़ो के पहनने पर पाबन्दी लगा दी है । पंचायत के मुखिया कहते है की इन्ही कपड़ो की वजेह से रेप जैसे अपराध बढ़ रहे है । इक तरफ हमारा देश हर जगह विकास कर रहा है और सुपर पॉवर की राह पर चल पड़ा है और साथ ही साथ २०२० तक विकसित देश बनने का प्रयास कर रहा है , लेकिन क्या वाकई में हमारे देश ने हर छेत्र में प्रगति कर ली है ?

नारी सशक्ति करण की बड़ी बड़ी बातें करते है और यह भी कहते है की "बेटो को पढ़ना फर्ज है तोह बेटी में क्या हर्ज़ है " पर लगता है ये बातें सिर्फ बोलने और बोर्ड पर लिखी ज्यादा लगती है । हमने चाहे जितना ही तकनीकी विकास कर लिया हो पर सामाजिक सोंच के रूप में हम उतने ही पीछे नजर आते है । लडकियां अगर जींस टॉप पहनती है तोह रेप बढ़ते है पर , बांदा की शीलू हो या फिर कानपुर की दिव्या इनके साथ रेप क्यों!!। इन लड़कियों ने तोह इस तरह के कपडे ऩही पहने थे । इमराना जो अपने ही ससुर द्वारा ही शर्म सार की जाती है । तब कहा थी ये पंचायतें और इनका फरमान !! लगता है की सारे नियम और फरमान लड़कियों के लिए ही बनाये गए है।

भारत के सविधान की बातें करने से भी हम नही चूकते है की सबसे पहले सविधान है ,फरमान सुनाते समय इसे ताक पर रख दिया जाता है । हम हर छेत्र में लड़कियों के अधिकार की बातें करते है की लडकियां आगे बढे देश के विकास में इनका भी योगदान हो । संसद हो या शिक्षा हर जगह लड़कियों के reservation की बातें करते है , पर मुझे लगता है की सबसे पहले इस तरह के फरमान सुनाने वालों का दिमागी कोटा बढाने की जरुरत है । भारतीय सविधान ने हर व्यक्ति को अपने अनुसार जीने का अधिकार दे रखा है , फिर ये पंचायतें हमारे सविधान से ऊपर हो गयी है ? लड़कियों के मामले में यहबात बेमानी सी लगती है तभी तोह वोह क्या पहने और क्या नही इसका फैसला लेने का भी अधिकार उन्हें नही है ।

इस तरह के फरमान केवल हमारी रूढ़िवादी और पहले से चली आ रही पुरुषो की महिलाओं के प्रति पुरानी सोच को ही दर्शाते है जिनकी जड़े बहुत मजबूत है और इसे मिटाने की जरुरत है । आज हम २१ वी सदी में जी रहे है और दिन पर दिन विकास कर रहे है फिर क्यों आज भी लड़कियों के प्रति इस मानसिकता में विकास नही हो पाया है । जब न्यूज़ देखी तोह इक़ मिनट के लिए मैंने सोंचा, क्या वाकई में लड़की होना इक सजा है ? आज का युग मोडर्न है सब जगह बदलाव आये फ़िरसमाज की इस तरह की सोच में कब बदलाव आयेगा। आखिर कब ??

चलते चलते बस इतना ही कहना चाहती हूँ की कपड़ो में बदलाव की जगह मानसिकता में बदलाव लाना ज्यादा जरुरी है । उन लोगो को अपनी मानसिकता बदलनी चाहिये जो इसे गन्दी नजरों से देखते है ।