Saturday, July 28, 2012

महिलाओं पर बयानवाजी के बजाए राष्ट्र हित में घ्यान लगाएं

                                                                           
कहा जाता है कि अल्लाह  ताला ने जब लड़की का निर्माण किया था तो अपने खाविंदों से कहा था कि जा सुबह का नूर, आफताव की तजामत, संमदर की गहराई, कहकशां की रंगीनी, मिट्टी की खुशवु, धूप  की चमक को ले आ । खाविंदो ने सारी चीजें इकठे  कर ली तो अल्लाह ताला ने लड़की का निर्माण किया । इस बात को लेकर खाविंदों ने कहा कि जब सारी चीजें हम लोगों ने ही लाया तो आपने इसमें क्या डाला । अल्लाह ताला ने बड़े ही मुस्कुराते हुए अंदाज में जवाब दिया मैने इसमें जो चीज डाली है वह वह है मोहब्बत । महिलाओं की गहराई और महिलाओं के प्रति आस्था न रख उसे तिजारत भरी नजरों से देखना पाप समझा जाता है । चाहे वह कोई भी महिला क्यों न हो । उसके दर्द उसकी पीड़ा को समझें तो खुद व खुद एहसास होगा कि महिलाएं समाज के लिए अभिशाप नहीं है बल्कि यह समाज में छाए पाप को भी पवित्र पावनी गंगा की तरह धो  डालती हैं । आज समाज में जो महिलाओं के प्रति नजरिया है वह एक संकुचित मानसिकता को दर्शाता है । जिसका नतीजा है कि आए दिन उसके साथ घटनाएं घटती रहती हैं । 
नौ जुलाई को गुवाहटी में स्कूली लड़की के साथ जो हादसा हुआ वो वाकई में दिल दहलाने वाला हादसा था । हमारे देश में जब भी ऐसे हादसे होते है , तो उस पर कड़ी कार्यवाही करने और दोषियों को सजा दिलाने के अलावा फालतू की बयानबाजी का दौर शुरु हो जाता है । इसके साक्षात गवाह हम स्वयं है! इस प्रकरण के बाद राजनीतिक खेमे से जो प्रतिक्रियाये सामने आयी वह वाकई निंदनीय है । राष्ट्रीय महिला आयोग की अधयक्षा ममता शर्मा का यह ब्यान कि लड़कियों को छोटे कपड़े पहनने से परहेज करना चाहिए , वेर्स्टन कल्चर की नकल करने के कारण ही इस तरह के हादसे होते हैं । तो महिला आयोग की अधयक्षा को इस बात की जानकारी होनी चाहिए अकबर के बारे में । अकवर ने लिखा था ‘बे पर्दा नजर आई जो कल चंद बीबीयां अकबर गैरते कौमो से मर गया, पूछा जो आपका पर्दा था क्या हुआ, कहने लगी अक्ल पे मर्दो के पड़ गया ।’ आज यह पर्दा सही माने में महिला आयोग की अधयक्षा के उपर भी पड़ गई है अन्यथा वो इस तरह का बयान देने से पहले सोचती । गैर जिम्मेदाराना बयान देकर सिर्फ महिलाओं को दोषी नहीं ठहराया जा सकता । चलिए एक मिनट के लिए  ममता जी की बात को मान भी लेते है  फिर तो उन्हें इस बात का भी जवाब देना चाहिए कि जो हादसे गांव में होते है  उसके जिम्मेदार कौन है ? क्या वहां भी इसी तरह के लिबास में लड़कियां नजर आती हैं ? क्या उनके पास इसका जवाब है । अगर है तो मै जरुर जानना चाहूंगी । इस तरह की ब्यानबाजी करने के बजाय अगर काम किया जाये तो शायद इस तरह के हादसे दुबारा न हो  । मैंने यहां पर ‘शायद’ शब्द का प्रयोग इसलिए किया है, क्यूंकि  कि हमारे देश की यह विडम्बना है कि आजादी के 65 साल बाद भी हमारे इस देश में काम पर ध्यान कम और बयानबाजी पर ज्यादा दिया जाता है । प्रश्न उठता है कि क्या एक महिला होकर इस तरह की प्रतिक्रिया देना लाजमी है ? यह तो हम सभी जानते है  कि जब भी कोई गम्भीर मुद्दा होता है तो उस पर बयानों की झड़ी सी लग जाती है । राजनैतिक खेमा विरोधी  दल के उस बयान का तोड़ ढूढनें मे लग जाते हैं लेकिन इस मामले में कुछ इतर ही परिस्थितयां नजर आ रही है  । मध्य  प्रदेश में बीजेपी के एक प्रवक्ता के बयान ने आग को कम करने की जगह उसमें घी डालने का काम किया है । इन्होंने ममता शर्मा को भी पीछे छोड़ दिया है । इनका बयान भी इस प्रकार है, कि महिलाओं को ज्यादा मेकअप और छोटे कपड़े पहनने से परहेज करना चाहिए । यह हमारे भारतीय परिदृश्य में शोभा नहीं देता है । तो प्रवक्ता जी ये बताइए क्या आपने कभी जानवरों को मेकअप करते हुए देखा है ? आज भी हमारे देश में गरीबी चरम सीमा पर है, कई लोगों की जीवन की बेसिक आवश्यकतायें भी पूरी नहीं हो पा रही है । उन्हें दो जून की रोटी भी नसीब हो रही है । हमारे देश में शिक्षा, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार,गरीबी ऐसे अनेक मुददे  है जो हमारी तरफ मुंह बाये खड़ी है । इनके प्रति माननीय भाजपा प्रवक्ता का घ्यान नहीं जाता और भारतीय परिदृश्य की बात करते हैं । महिलाओं के मेकअप पर टिप्पणी करने की बजाय देश के हालात की तरफ भी घ्यान करेगें तो हमारे देश की तस्वीर और तकदीर दोनों ही संवर जायेगी और तब शायद 2020 तक एक विकसित देश बनने का सपना साकार हो पायेगा ।
       
 
          

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